Some Past Motions:
2008
परिवार और परम्पराओं की भूल भुलैया में भारतीय व्यक्ति के लिए अपनी पहचान खोजना कठिन हो जाता है |
In the maze of family and traditions, it becomes difficult for the Indian individual to find his or her own identity.
2009
देशभक्ति प्रासंगिक नहीं रही |
Patriotism is no longer relevant.
2010
धर्म जोड़ता कम तोड़ता ज़्यादा है |
Religion is more divisive than unifying.
2011
विवाह नामक संस्था मुरझा रही है |
Marriage is a dying institution.
2012
उच्च शिक्षा देती कम लेती ज़्यादा है |
Higher education is not worth it.
2013
लोकतंत्र कितना भी खंडित क्यों न हो, लोकतंत्र न होने से बेहतर है |
Even the most dysfunctional democracy is better than a non-democratic government.
2014
वैश्वीकरण में जातीय सांस्कृतिक पहचान का महत्व कम हो जाता है |
Globalization diminishes the significance of ethnicity.
2015
आज का मन्त्र - बस काम ही, आराम नहीं |
All work and no play is the dictum of today.
2016
हमारी पीढ़ी कुछ ज़्यादा ही संरक्षित और दुलारी है |
Our generation is too coddled.
2017
सुरक्षा से ज़्यादा महत्वपूर्ण है व्यकितगत स्वतंत्रता |
Liberty is more important than security.
2018
मृत्युदंड ग़ैरकानूनी होना चाहिए |
The death penalty should be illegal.
2019
सत्ता तो हमेशा भ्रष्ट ही करती है|
Power always corrupts.
2020
मतदान सब नागरिकों के लिए अनिवार्य होना चाहिए|
Voting should be mandatory for all citizens.
2021
झूठी ख़बरों और अफ़वाहों के प्रसार की रोकथाम के लिये अभिव्यक्ति की स्वत्रंतता पर प्रतिबंध होना चाहिये
Restrictions on free speech are justified to prevent the spread of disinformation.